Ideal Story


लोककथा

1. कोयला और चंदन

हकीम लुकमान अपने बेटे को संगत के बारे में बताते रहते थे । एक दिन उन्होंने अपने बेटे से कहा- 'बेटा, यह सामने रखे धूपदान में क्या है?' बेटा बोला - 'पिताजी उसमें तो चंदन का चूरा है।' लुकमान बोले - 'ऐसा करो कि एक मुट्ठी चुरा ले आओ।' लुकमान ने कोयले की ओर इशारा करते हुए बेटे से कहा - 'अब दूसरे हाथ की मुट्ठी में थोड़ा कोयला भी ले आओ।' तब लुकमान ने कहा इन दोनों चीजों को वापस इनकी जगह पर रख आओ ।' लुकमान उससे पूछा - 'क्या तुम्हारे हाथ में अब भी कुछ है ?' वह बोला - 'मेरे तो दोनों हाथ खाली है ।' लुकमान ने कहा - 'तुम अपने हाथों को गौर से देखो, तुम्हें इनमें कुछ फर्क नजर आएगा ।' बेटे ने अनुभव किया कि जिस हाथ में वह चंदन का चुरा ले कर आया था, उसमें अब भी चंदन की महक आ रही है । जबकि जिस हाथ में कोयला रखा था, उसमें कालिख लगी है। लुकमान ने कहा - 'बेटा, यही है अच्छी और बुरी संगत का असर। दुनिया में कुछ लोग चंदन की तरह होते हैं । जिनके साथ जब तक रहो, तब तक हमारा जीवन महकता रहता है। वहीं कुछ लोग ऐसे भी होते हैं, जिनका साथ रहने से और साथ छूटने पर भी जीवन कोयले की तरह कलुषित होता है।'

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